पत्रकार शिरोमणि स्व. गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती पर नेशनल मीडिया प्रेस क्लब द्वारा अर्पित किए गए श्रद्धासुमन, साथ में पदाधिकारियों द्वारा उनके त्याग, बलिदान पर डाला गया प्रकाश

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नेशनल मीडिया प्रेस क्लब के प्रादेशिक कार्यालय काकादेव कानपुर में बड़े ही धूमधाम के साथ संगठन द्वारा पत्रकार पुरोधा स्वर्गीय गणेश शंकर विद्यार्थी जी जयंती के शुभ अवसर पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनकी याद में धूमधाम से जयंती मनाई गई, संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम डी शर्मा व राष्ट्रीय महामंत्री एडवोकेट उमाशंकर त्यागी द्वारा पत्रकार शिरोमणि, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, अपनी कलम की धार से विदेशी हुकूमत को झुकाने वाले, स्वर्गीय गणेश शंकर विद्यार्थी जी के जीवन एवं योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। सभी उपस्थित सदस्यों व पदाधिकारी ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
राष्ट्रीय महामंत्री एडवोकेट उमाशंकर त्यागी ने बताया कि गणेश शंकर विद्यार्थी एक महान क्रांतिकारी, निडर और निष्पक्ष पत्रकार, समाजसेवी और स्वतंत्रता सेनानी थे, भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास में उनका नाम अजर-अमर है। गणेशशंकर विद्यार्थी एक ऐसे पत्रकार थे, जिन्होंने अपनी लेखनी की ताकत से भारत में अंग्रेजी शासन की नींद उड़ा दी थी। गणेशशंकर ‘विद्यार्थी’ का जन्म 26 अक्टूबर 1890 को इलाहाबाद के अतरसुइया मुहल्ले में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जयनारायण था जो हथगाँव, (फतेहपुर, उत्तर प्रदेश) के निवासी थे। इनके जीवन संघर्ष से पूरी तरह भरा रहा, उन्होंने प्रसिद्द लेखक पंडित सुन्दर लाल के साथ उनके हिंदी साप्ताहिक ‘कर्मयोगी’ के संपादन में सहायता की लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण लगभग एक वर्ष तक अध्ययन के बाद 1908 में उन्होंने कानपुर के करेंसी आफिस में 30 रु. महीने की नौकरी की पर एक अंग्रेज अधिकारी से कहा-सुनी हो जाने के कारण नौकरी छोड़ कानपुर के पृथ्वीनाथ हाई स्कूल में सन 1910 तक अध्यापन का कार्य किया। इसी दौरान उन्होंने सरस्वती, कर्मयोगी, स्वराज्य (उर्दू) तथा हितवार्ता जैसे प्रकाशनों में लेख लिखे। इसके बाद 1916 में महात्मा गांधी से उनकी पहली मुलाकात हुई तब उन्होंने अपने आप को पूर्णतया स्वाधीनता आन्दोलन में समर्पित कर दिया। उन्होंने सन 1917-18 में ‘होम रूल’ आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाई और कानपुर में कपड़ामिल मजदूरों की पहली हड़ताल का नेतृत्व किया। सन 1920 में उन्होंने “प्रताप” का दैनिक संस्करण आरम्भ किया और उसी साल उन्हें रायबरेली के किसानों के हितों की लड़ाई करने के लिए 2 साल की कठोर कारावास की सजा हुई। 25 मार्च 1931 में कानपुर में भयंकर हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए जिसमें हजारों लोग मारे गए। गणेश शंकर विद्यार्थी ने दंगा भड़काने वाले आतंकियों के बीच जाकर हजारों लोगों को बचाया, पर खुद एक ऐसी ही हिंसक भीड़ में फंस गए जिसने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। एक ऐसा मसीहा जिसने हजारों लोगों की जाने बचायी थी खुद धार्मिक उन्माद की भेंट चढ़ गया, गणेश शंकर विद्यार्थी और उनका अखबार प्रताप आज भी पत्रकारिता का आदर्श माना जाता है।
इसके बाद संगठन की जिला कार्यकारिणी चुनाव से संबंधित एक अहम बैठक भी आयोजित की गई। बैठक में सभी सदस्यों व पदाधिकारियों को हिदायत दी गई कि वह किसी भी अपराधी व अनैतिक कार्य में लिप्त किसी भी व्यक्ति को अपना सदस्य न बनाएं, केवल साफ सुथरी छवि वाले व्यक्तियों को ही संगठन की सदस्यता दिलाएं, आपस में सभी एक दूसरे का सहयोग करें, एक दूसरे की ताकत बने, अनैतिक कार्य से दूर रहते हुए संगठित होकर आपस में एक दूसरे का सहयोग करें, चुनाव प्रक्रिया पर कोई आपसी मतभेद न करें, संगठन पदाधिकारियों का चुनाव निष्पक्ष होगा ।
आज की बैठक में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष एम डी शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय महामंत्री एडवोकेट उमाशंकर त्यागी, मण्डल महामंत्री वीरेन्द्र शर्मा, मण्डल मंत्री पप्पू यादव, कानपुर जिलाध्यक्ष अमित कुमार, जिला उपाध्यक्ष के के द्विवेदी, जिला सूचना मंत्री अमर वर्मा, जिला प्रचार मंत्री सुहैल मंसूरी, जिला मीडिया प्रभारी शादाब रईस, जिला कार्यकारिणी जुबैर खान, कानपुर देहात जिलाध्यक्ष शिवकरन शर्मा, खुलासा कानपुर संपादक संजय शर्मा, हिंदुस्तान अलर्ट न्यूज संपादक कृष्णा शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार त्रिपाठी, आकाश वर्मा, राजकुमार, हामिद हुसैन, बबिता वर्मा, रूपेश कुमार, एस पी सिंह, नितिन कुमार, दीपक जायसवाल, मनीष कुमार, दीपक यादव, अनिल मिश्रा, सतेन्द्र कुमार, राहुल निषाद, सूर्य प्रताप सिंह, ललित कुमार, सुजीत कुमार , दीपू इत्यादि सदस्य व पदाधिकारी रहे उपस्थित।

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